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Yaswant Singh Bisht

Drama

1.0  

Yaswant Singh Bisht

Drama

नव युग की राह

नव युग की राह

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मुक्त सा है सफर

जीवन में उठे कई भँवर


टूटते सपनों के पल

अनेकों प्रयास हुए विफल


आओ सब विफलताओं से

जूझते हम चलें


नव युग की राह को

मोड़ते हम चलें


नव पंथ पर चलने की

हिम्मत जुटाई किसने है


अंधियारों में उजाले की

ज्योति जलाई किसने है


चलते हुए जमाने को,

सबने ही कोसा


काल की गति को,

सबने ही दोसा


कौन कहता हर पल

ठोकरें बनाती मजबूत हैं


बिन कष्टों के जीवन का

क्या कोई वजूद है


पल भर दुख पर

अनंत खुशी क्यों ढले


नव युग की राह को

मोड़ते हम चलें।।


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