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Babu Dhakar

Classics Inspirational

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Babu Dhakar

Classics Inspirational

बेहतर

बेहतर

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बेहतरीन क्या है

बेहतर से इतर है

इत्तर क्या है

अंतर ही इत्तर है।


लचक दिखाकर फैले

कसक पूरी करने पर तुले

हम मिले जब उनसे

मन में सच्ची कितने फूल खिले।


तलाशें हुए की तलाश में

तराशें हुए कि ताक में

खोजते हैं कई शिकारी शिकार

करते हैं अपना, विकारी विस्तार।


कहना हमें क्या है

दिल में तेरे रहना है

पल में जो पास पहुंचे

दल में मिलें तो बदल गये।


एक हम तो विशेष है

पर कुछ कम श्रेष्ठ है

एक हमीं तो वजह है

पर कुछ कम समझे है।


पिछली बहारों में बने सहायक

इस बार यादों में बने प्रभावक

हर ओर से हमें छेडे बड़े कारक

पिछली कारणों के है‌ परिणाम गायब।


छलकें नीर हम नहीं दिखायेंगे

आमने से फासले पर ही रहेंगे

सामने भले ही सपनों के संसार दिखें

पलकें हम हमेशा नीची करके ही निकलेंगे।


मन में हलचलों को हम रोककर

बेहतर बनने की तलाश में अब नहीं भटकेंगे

तब ही सदाबहार वृक्षों की शाखाओं पर 

हरे लगे पत्तों से हम सजे हुये लगते रहेंगे।


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