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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Classics Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Classics Inspirational

कवि की कोयल

कवि की कोयल

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एक कवि की कोयल प्यारी,

नटखट, शरारती स्वभाव है उसका।

बातें करती मीठी न्यारी - न्यारी,मधुर

सिम्त मुस्कान है उसका। 


नयन उसकी मधुशाला है,

खो जाऊँ मैं जिसमें मदहोश

होकर वैसी रूप निराला है। 


निश्छल प्रेम की पुजारिन वह,

अटूट उसका प्रेम बंधन है।

खुद से भी ज्यादा वह मुझे चाहती,

ऐसे पवित्र प्रेम परिणय को

मेरा दिल से अभिनंदन है।


बेखौफ, बेपरवाह मुझसे

मोहब्बत करती,         

अपना सबकुछ मुझे मानकर,

खुद को मेरे प्रति समर्पण किया।


सुख- दुःख में साथ निभाने का,

कोकिल कंठों से साथ गुनगुनाने का

खुद को मेरे प्रति अर्पण किया। 

          

दिल में छपी तस्वीर को वह

कैनवस पर दिन-रात उतारती 

निर्मल हृदय, निडर मन से जीवन

संग बिताने का मेरे साथ इरादा किया उसने।


हर कदम पर साथ निभाने का

खुद से खुद के लिए वादा किया उसने।


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