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Diwa Shanker Saraswat

Classics Inspirational

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Diwa Shanker Saraswat

Classics Inspirational

रंगीले ख्वाब

रंगीले ख्वाब

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ख्वाब सब रंगीले होते हैं

यथार्थ से परे

दूर के ढोल सुहावने

कभी आसमान में परिंदों की तरह उड़ते


राजगद्दी पर विराजते

दुनिया को खुद समक्ष झुकाते

खुशियों की कहानी बनते

बस ख्वाब ही तो हैं

हसीन से दिखते

हकीकत कब हसीन है


राजा हो या रंक

नर हो या नारी

संसारी या अवतारी

रंगीले ख्वाब न बने सत्य

दुनिया की चक्की में पिसकर

ख्वाबों का चूरन बनाकर

जल से गीली कर उस मिट्टी को


फिर तैयार होती हैं

कुछ मूर्तियां हकीकत की

टूटी फूटी और बेरंग

आंखों में जलन करतीं

सचमुच नयन भी आदी नहीं यथार्थ दर्शन के

रंगीले ख्वाबों को देखने के आदी


यथार्थ से बचना चाहते

दूर भागते

अंधेरी राहों में तलाशते हसीन ख्वाबों को

जो एक छलावा है

सत्य पग पग रूप दिखाता

बिना हसीन ख्वाबों को मिटा


कौन बड़ा बना

क्या राम या श्याम

कौन जी पाया खुद के लिये

खुद के लिये जीने बाले

खुद के ख्वाबों को रंगीन चाहने बाले


कितने खुद मिट गये

इन रंगीले ख्वाबों के चक्रव्यूह में

कौन टिक पाता है

जब एक साथ बदल जाते रंगीले ख्वाब असुरों में

फिर घेर लेते अकेले मानव को


मानव फिर मानव नहीं रहता

रंगीले ख्वाबों का गुलाम

मानवता का घाती बन जाता

आत्मा का व्यापारी।


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