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Diwa Shanker Saraswat

Classics

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Diwa Shanker Saraswat

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सूर्य नारायण - देवी ऊषा

सूर्य नारायण - देवी ऊषा

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जग के पालक

नारायण भगवान

धरा रूप अलग ही

प्रकाश के पर्याय

जग को रोशन करने 

कहलाये सूर्य नारायण


शक्ति सूर्य नारायण की

भार्या सामर्थ्य का पर्याय

अद्भुत तेज युक्त

अर्धांगिनी निज स्वामी की

देवी ऊषा शक्ति खान 


प्रथम दिवस यात्रा का 

उठा थाल अर्धांगिनी 

विदा करेगी प्रियतम को 

रख मर्यादा भार्या की 


विह्वल मन नारायण 

भार्या खान गुणों की 

सहना विरह अपार 

शांत चुपचाप 


"स्वामी.. मैं अनुचरी 

क्या विषाद, क्या पीङा 

कह दो प्रत्यक्ष आज 

जग देखता राह 

प्रभु उदय की आज" 


"भार्या, नहीं अनुचरी 

शक्ति का अवतार 

न कमतर नारी 

नर समक्ष 

आओ देवी 

विराजो रथ पर

मैं अपूर्ण बिन आपके 

शक्ति बिन क्या शक्तिशाली 

तुम्हीं शक्ति मेरी 

न असत्य कुछ भी कहा 


अनुचरी नहीं, अर्धांगिनी स्वामी की 

पथ पर चलो एक बार 

मैं अनुचर शक्ति पीछे 

चलें, हो रथ पर सवार "


" नहीं देव, यह ठीक नहीं 

मैं पीछे पीछे आती हूं 

मर्यादा एक नारी की 

देव आज अपनाती हूं "


" मर्यादा का क्यों करें विचार 

सबको समान अवसर आज 

नर हो या फिर हो नारी 

न स्वामी, न कोई दासी 


देवि सत्य कहता हूं मैं 

अनुचित नहीं करूंगा मैं 

शक्ति पूर्ण भार्या को मैं 

पीछे नहीं रखूंगा मैं 


मैं अवतार सूर्य रखकर 

भार्या का सम्मान करूं 

नारी ही क्यों पीछे हो

क्यों न बने नर अनुचर "


प्रथम बार नर जिद ने

अलग काम ही कर डाला 

नर अनुचरी नारी को

अग्रणी नर की बना डाला 


तिमिर देख रवि भार्या को 

भय के मारे भाग गया 

देव रवि जब तक आये 

उन्हें खाली मैदान मिला 


नारी नहीं कम नर से 

उठा नजर सब देखो भी 

उदय सूर्य से पहले ही 

तिमिर मिटा नित देखो भी. 


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