हम भारतवासी
हम भारतवासी
इतिहास रहा अनमिट जिसका
जो सदा रहा अविनाशी है,
कभी नहीं हारा जो जग से
हम उसे भारत के वासी हैं।
इसके सुअंक से उदित हुए हैं
वीर तपो व्रत धारी,
आभा से जिनकी दीप्तिमान
होती वसुंधरा सारी;
मरने से कभी नहीं डरते जो
मृत्यु जिनकी दासी है।
कभी नहीं हर जो जग से
हम उसे भारत के वासी हैं।
संदेश शांति का देने को
बुद्ध हम ही बन जाते हैं,
पर मातृभूमि रक्षण हेतु
रण सचित भी हो जाते हैं,
बांटते सदा प्रेम जग को
विचलित करती न उदासी है।
कभी नहीं हारा जो जग से
हम कुछ भारत के वासी हैं।
रंग वेष परिधान अलग,
सबकी सबसे पहचान अलग,
और मातृभूमि पर मर मिटने की
अपनी सबसे चाह अलग;
चंदन जैसी जिस देश की माटी
हम उसी देश के वासी हैं।।
कभी नहीं हारा जो जग से
हम उस भारत के वासी हैं।।