सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
विरह की वेदना और पिया मिलन की आस,
इसी भरोसे पर काटते रहे दिन और चिर रात,
दिन तो जैसे तैसे कामों में कट जाते कैसे काटे रात,
पिया आ जाओ अब ना हो रही जुदाई बर्दाश्त।।
देखो,मौसम ने करवट बदली सर्दी का हो गया आगाज़,
सुबह थोड़ी गुलाबी ठंड दोपहरी में रहता गर्म ताप,
पर शाम ढले सर्द हवाएं छू कर दिलाती तुम्हारी याद,
दिसम्बर महीना है अर्ज़ी देकर कर दो छुट्टी की दरख्वास्त।।
कमाने के लिए परदेश जाओगे तो दूरियां हैं जायज,
और नौकरी लगेगी वहीं पर तो रैन बसेरा हैं स्वाभाविक,
तुम बस माँ बाबुजी को निवेदन कर मुझे बुला लो उधर,
या फिर बहाना बना कुछ दिनों के लिए आ जाओ इधर।।
इस मौसम में ताजी सब्ज़ीयों व फलों के रहते ठाठ,
गाजर का हलवा हल्दी की सब्ज़ी बढ़ाते भोजन का स्वाद,
थोड़ी देशी दवाई भी लेना जो हड्डियों के लिए रामबाण,
खाना च्यवनप्राश,गोंद मेथी के लड्डू रहोगे सालभर तरोताज।।