इत्तेफ़ाक
इत्तेफ़ाक
ज़िन्दगी में भी अजीब इत्तेफ़ाक होते हैं,
जागती आँखों में कई ख़्वाब होते हैं !
जाग कर बिता देते हैं रातें सारी,
जागने के वक़्त नींद के खुमार होते हैं !
लोग कैद रहते हैं दिन भर घरों में,
रात पार्टियों में क्लब गुलज़ार होते हैं !
मतलब से पहचानने लगते हैं सभी को,
दूसरों की ज़रूरतों पर जो नजर बचाते हैं !
बना लेते हैं गैरों से भी रिश्ते घनिष्ठ,
खून के रिश्तों को जो अक्सर भूला देते हैं !
जीने के लम्हों को बिता देते हैं व्यर्थ ही,
मरने के वक्त जो जीना चाहते हैं !
करीब आने की उम्र में रहते हैं दूर सबसे,
बिछड़ने की उम्र में वो दिल के करीब आते हैं !
याद रखने की उम्र में भूल जाते हैं सबकुछ,
भूलने की उम्र में जिन्हें सब याद आते हैं !
अभी भी वक्त है कुछ सोच ले मधु,
वरना हाथ से सब लम्हें फिसल जाते हैं !
