सुनो होली है आओगे न इस बार
सुनो होली है आओगे न इस बार
दिन तो कट जाता है किसी तरह
कटनी नही है कमबख्त रात
आंखे अक्सर याद में भीग जाती है
सुखी लगती है बरसात
बहुत बेसब्र हो गए है हम
तुम्हारा रस्ता देखते देखते
आख़िर और कितना करे इंतज़ार
सुनो होली है
आओगे न इस बार।
कहा था नए साल आने से पहले आऊंगा
कहा था मकर संक्रांत साथ मनाऊंगा
कहा था फागुन का प्यार लेकर आऊंगा
कहा था सबको घुमाने ले जाऊंगा
तुम्हारे सारे वादे अधूरे हुए
जितने थे तुमने हमसे किए
शिवरात्र भी निकल गयी मेरे शिव
तुम नहीं आए अब तक,
तेरी सती आखिर दूरी सहे ये कब तक।
तुम नही हो तो सूना है
घर आंगन.. सूना है संसार ,
सुनो होली है
आओगे न इस बार
याद है कैसे रंग लगाते थे तुम
मस्ती मज़ा में नाचते गाते थे तुम
खुद तो रंगे होते थे हर एक रंग में
मुझको भी भिगाते थे तुम।
मगर सबसे खास होता है वो
एहसास जो रंगों में लिपट कर
हमारे तन से मन तक जा पहुंचती है
वो एहसास है प्यार ..
तुम्हारे बगैर फीकी लगे मिठाई
और अधूरा हर त्योहार
सुनो होली है
आओगे न इस बार।
मैंने संझौ के रखे है रंगों को तुम्हारे लिए
मैंने जमा रखी है पानी फुग्गो में तुम्हारे लिए
नही मनाई है होली हमने कितने साल
रंग देना मुझे कर देना गुलाबी मेरे गाल
होली हमजोली है रंगों का
दिल के उमंगों का
उठते मदमस्त तरंगों का त्योहार
सुनो होली है
आओगे न इस बार।
क्या नहीं आ सकते कुछ दिन
के लिए सरहद से अपने द्वार
क्या नही मनाते होली सरहद के उस पार
कब तक खून से रंगते रहेंगे अपने हथियार
कब तक खिंची रहेगी नफरत की दीवार
थोड़ा रंग सबको दे दो
आपस मे एक दूसरे को रंग दो
ऐसे की बढ़े भाईचारा बढ़े आपस में प्यार
पूरी दुनिया को मानाना चाहिए रंगों का त्योहार।
सुनो होली है आओगे न इस बार
सुनो होली है आओगे न इस बार।