हम आज भी उनके गुलाम है
हम आज भी उनके गुलाम है


आज़ाद कौन है
हम आज भी उनके गुलाम है
हमने लड़ कर आजादी तो ले ली अंग्रेजो से 1947 में
मगर हम आज भी उनके गुलाम है।
हम आज भी अंग्रेजो के बताए मार्गो में चल रहे है
अंग्रेजी भाषा, अंग्रेज़ी परिवेश में ढल रहे है
आज भी हम अंग्रेजो की बातो को पहले तबज़्ज़ो देते है
जो ज्ञान हमारे वेद पुराणों से निकली है
हम उसको नकारते है,
और यदि यही सारी बाते अंग्रेज़ हमें बताते हैं
तो हम स्वीकारते है
हम आज भी उनके गुलाम है।
हमारे आयुर्वेदा के नुस्खे हमे बेकार लगते हैं
हमारे ही आयुर्वेदा के नुस्खों को विदेशी हमें बेचते हैं
और हम खरीदते है
हम काले, सांवले से दूर भागते है
जो गोरे होते है हमे वो पसंद आते है
हाथ जोड़ नमस्ते कहकर मिलने की परंपरा थी हमारी
अंग्रेजो की देखा देखी में अब हम हाथ मिलाते है
हम आज भी उनके गुलाम है।
संस्कृत तो खत्म हो चली है
हिंदी भी हो रही खोखली है
अपने देश मे अब अंग्रेजी नहीं बोलनेवालों को
नौकरी में भी नहीं लेते हैं
अंग्रेजों की टूटी फूटी हिंदी भी हमें प्यारी लगती है
और अपने लोगों की अंग्रेजी का हम खुद ही मज़ाक उड़ाते हैं
हम आज भी उनके गुलाम है।
अंग्रेजो के तौर तरीकों को हम इतना अपनाते है
अपनी संस्कृति को भुला कर हम मॉर्डन कहलाते है
सुप्रभात, प्यार का इज़हार, धन्यवाद, माफी भी अंग्रेज़ी में मांगते
अपने देश भारत को भी भारत नहीं हम इंडिया बुलाते हैं
हम आज भी उनके गुलाम है।