मुंबई मेरी जान
मुंबई मेरी जान
नगर कि हर डगर पे भागती दौड़ती जिन्दगी,
नज़रों में चमक खास सूरज चांद कि चाहत ख्वाब।
दौड़ता कोई खासियत कि खास में कोई चाहतों कि राह में,
दौड़ता भागता कोई जिन्दगी के दर्दों कि राहत चाहत में।
महा माया कि माया महालक्ष्मी को दौड़ता खोजता,
रिद्धि सिद्दी कि चाहत विघ्न विनायक को खोजता!!
निखर, प्रखर सूरज के उजाले में अँधेरी को खोजता,
यहां कोई राम नहीं है ना है बानर सेना ना क़ोई बंदर खोजता वान्द्रा।
चर्च गेट का नाम बहुत बड़ा चर्च का नहीं अता पता,
समन्दर भी यहाँ सेतु सुद्रम नहीं जी हां हांजी अली है यहाँ।
मुम्बई की रखवाली मुम्बा देवी अपनी ही माया कि नगरी के
मानुष के अमानुष अत्याचार विष गरल सा भक्तों का भाव निगलती।
ना कोई रिश्ता है ना कोई वास्ता ना कोई बाप ना बेटा
ना भाई ना बहना माँ का तो नाम न लेना ।
माँ का तो नाम न लेना मुम्बई के हर
गली मोहल्ले चौराहे पर माँ का रिश्ता बिकता,
रिश्ता ना है है यहाँ कोई भाई का रिश्ता है
अजीज अजीम प्यारा।
भाई जवां हो चाहे हो बुढ्ढा ठिनगा हो या
लंबा मोटा हो या दुबला कोई फर्क नहीं भाई,
भाई का मुम्बईया मतलब जिसके भय से दहले
दहशत में काँपे मुम्बई जानो सबसे बड़ा है भाई।
भाई और भैया में फर्क बताता मुम्बईया भाई पिछड़ा,
अनपढ़, गवांर भाई का पहरेदार छोटे धंधे,
फल, सब्जो, ऑटो, टैक्सी का भाई को कर चुकाता।
भाई के भय से लम्हा लम्हा खुदा अल्लाह
भगवान् से दुआ मांगता मुम्बईया भईया कहलाता,
इंसान इंसानियत तो सिर्फ कहने की बात दौलत
इन्सां दौलत दुनियां दौलत दिल प्यार मोहब्बत और समाज।
दौलत की हसरत चाहत में उत्तर दक्षिण
पूरब पश्चिम से लम्हा लम्हा आते कितने लोग,
कुछ दौलत की दुनिया में खो जाते कुछ अंधी गलियों में
खो जाते कुछ का पता नहीं जाने कहाँ चले जाते।
मुम्बई है माया नागरी हर इंसा यहाँ दुर्योधन सा अ
बनि पर जल ही जल और एक दूजे से छल ही छल,
दौलत रिश्ता दौलत फरिश्ता दौलत से हर रिश्ता जो चाहो
मिल जाएगा दौलत से खुदा भी मिल।जायेगा !
भाग रहा सुबह शाम आदमी लोकल
बस ट्रेनों में धक्कम धुक्की खड़े होना भो मुसीबत,
झुग्गी, झोपडी, फुटपाथ खुले गगन के नीचे
लाखों खतरे पल पल फिर मुम्बई नाज़।
लाख झमेला जीना, जिंदगी चुनौती फिर भी
कहीं बसब मुम्बई, रहब मुम्बई मुम्बई हमरी जान,
लाख झमेला जिनगी में ,लोगन कर मन मैला,
फिर भी सांसें, धड़कन, आशा और विश्वास
भागती दौड़ती जिंदगी मुम्बई की शान।