मजदूर
मजदूर
श्रमयेव जयते,मेहनत कश संघर्षों
का मशाल इंक़लाब का ईमान.!
मज़बूर् नहीं मज़लूम नहीं
मज़बूत इरादों की बुनियाद !
सूर्योदय से संध्या तक तपिस,
ठंड ,वारिस हो या तूफान मौसम की
दूसवारी हो सामंती चक्रवात लड़ता!
अपानी पूरी ताकत क्षमता से
बुलंद हौसलो का फौलाद !
सांसों धड़कन की आवाज़ खून पसीने की
रोज़ी रोटी का घर परिवार समाज़ !
साहस शक्ति की पूंजी हर
निर्माण का अधार !
साशन साशक से सोशित हक़
हुकूक की क्रान्ति का अंगार!!
दुनिया के मज़दूरों उठो अपने
मेहनत की दुनिया से मांगों हक़ जायज !