नवोदय के वो दिन
नवोदय के वो दिन
बहुत याद आते हैं नवोदय के वो दिन
नहीं भूल पाएंगे नवोदय के वो दिन
वो खेलने के, वो मस्ती के दिन
वो पीटी से बचना, वो प्रार्थना से बचना।
कक्षा में हुड़दंग मचाना,
चीखना-चिलाना और चॉक से खेलना,
शिक्षक के आने पर बेंच के पीछे छिप जाना,
गणित विषय का बोर लगना।
गणित शिक्षक के प्रश्न पूछने
पर कोई बहाना बनाना
सर्दी के दिनों में छड़ी से वो पिटायी खाना
नाश्ते, लंच, डिन्नर के लिए वो जल्दी भागना,
छिपकर लाईन के बीच में घुस जाना,
खाते-खाते दूसरे की प्लेट से वो रोटी चुराना
शनिवार को मैस से वो रोटी छिपाकर लाना
नहीं भूल पाएंगे नवोदय के वो दिन
बहुत याद आते हैं नवोदय के वो दिन
मैस में की गयी वो शरारतें,
सब्जी की गाड़ी से वो फ्रूट चुराकर खाना
रेमेडियल कक्षाओं से बचने के लिए
वो बुखार का बहाना बनाना
लंच व डिनर के बीच भूख
लगने पर वो सूखी रोटी खाना।
नहीं भूल पाएंगे नवोदय के वो दिन
बहुत याद आते हैं नवोदय के वो दिन
वो मस्ती भरे दिन ,वो बेपरवाह दिन
वो पढ़ने-लिखने के दिन, वो खेलने कूदने के दिन
बाहर की दुनिया से बेखबर अपने वो दिन
शनिवार के दिन डिनर के बाद
एमपी हॉल की तरफ भागना,
टीवी देखना, बिजली जाने पर वो शोर करना
सर्दी में छत पर वो ठंडे पानी से नहाना
नहीं भूल पाएंगे नवोदय के वो दिन
बहुत याद आते हैं नवोदय के वो दिन
क्या फिर लौट आएंगे वो दिन,
क्या हम कभी भूल पाएंगे वो दिन
नहीं भूल पाएंगे नवोदय के वो दिन।
