Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shakuntla Agarwal

Drama

4.7  

Shakuntla Agarwal

Drama

"ख़ामोशी"

"ख़ामोशी"

2 mins
173


मेरी ख़ामोशी अक्सर ये सवाल करती है,

ज़िन्दगी के बीते पलों का हिसाब करती है,

कदम बेताब थे मंज़िल पाने को,

बीच रास्ते में कहाँ भटके।


वो हिसाब करती है !

माना रास्तें सकरे थे,

पर मंज़िल पास थी,

हाथों से कैसे फिसल गयी मंज़िल,

ये सवाल करती है !

मेरी ख़ामोशी अक्सर ये सवाल करती है,

ज़िन्दगी के बीते पलों का हिसाब करती है !


नौका में बैठे थे,

चापू भी हाथ था,

किस दिशा में क़दम है बढ़ाना,

वो भी अहसास था,

फिर भी साहिल से रह गये कोसों दूर,

ये सवाल करती है !

मेरे बीते पलों का हिसाब करती है !


तन्हा बैठे हैं, ज़िन्दगी के इस पड़ाव में,

शिद्दत से जिया था रिश्तों को,

फ़िर कहाँ हो गयी चूक ?

ये सवाल करती है !

मेरे बीते पलों का हिसाब करती है !


रिश्तों को गूँथ कर माला पिरोई थी,

कैसे बिखरी रिश्तों की माला,

ये सवाल करती है !

मेरे बीते पलों का हिसाब करती है !


सीने में ज्वालामुखी लिए जीते रहें ताउम्र,

कहाँ दबा के रखा लावा,

ये सवाल करती है,

स्वाभिमान की चिंगारी सुलगी भी मगर,

कहाँ हो गई फ़ना ?

ये सवाल करती है !

मेरे बीते पलों का हिसाब करती है !


अश्क़ों का समुंद्र आँखों में छिपाये,

कैसे हँसते रहें हर - दम,

ये सवाल करती है,

दर्द के दरिया को,

पलकों ने कैसे संजोये रखा ?

ये सवाल करती है !

मेरे बीते पलों का हिसाब करती है !


चुप्पी का आवरण ओढ़,

कैसे रहते हैं ख़ामोश ?

राख के ढ़ेर में कहाँ दबाये रखी चिंगारी ?

ये सवाल करती है,     

चिंगारी भी थी, बारूद भी पास था,

भभकने से, कैसे रोके रखा आग को ?

ये सवाल करती है,

"शकुन" मेरे बीते पलों का हिसाब करती है !     


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama