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Goga K

Abstract Drama Tragedy

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Goga K

Abstract Drama Tragedy

आ रहा हूं मैं मां

आ रहा हूं मैं मां

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आ रहा हूं मैं मां, तेरे प्यार के लिए

एक मुसाफिर मैंने देखा।

वो किसी दरख्त के नीचे बैठा

रास्ते को ताक रहा था,


शायद अपनी मंज़िल से भटक गया था,

वो सुर्ख आंखें, वो बहते आँसू, 

बता रहे थे कि उसकी मंज़िल कहीं खो गई थी,

 मैंने पास जाकर पूछा कि क्या ढूंढ रहे हो भाई,

पर उसके रुंधे हुए गले से कोई आवाज नहीं आई,


वो रुक कर बोला, "क्या बैठ सकते हो,

चंद लम्हे, अपने इस टूटे हुए यार के लिए, 

और चीखते हुए बोला, कि आ रहा हूँ मैं मां,

तेरे प्यार के लिए।

'तेरे हाथों की रोटी खाने के लिए,

तेरे बूढ़े पैरों को दबाने के लिए, 


तेरी गोद में सिर रखने के लिए, 

तेरे सारे दुखों को खत्म करने के लिए, 

आ रहा हूँ मैं मां, तेरे प्यार के लिए।

अब दीवारों से अकेले बातें नहीं करनी पड़ेगी,  


अब दवाओं की पर्चियां मुश्किल से

नहीं पढ़नी पड़ेगी। 

अब हंसने के लिए झूठे

चैनल नहीं झिलाने पड़ेंगे, 


अब खुश होने के लिए पड़ोस के

बच्चे नहीं खिलाने पड़ेंगे। 

अब नहीं कहूंगा मैं तुझे और इंतजार के लिए, 

आ रहा हूँ मैं मां, तेरे प्यार के लिए।


आज भी याद है वो पल, 

जब तू मुझे स्कूल छोड़ने जाती थी, 

मुझ से ज्यादा आंसू तो खुद तू ही बहाती थी, 

मेरी हर जीत और हर हार में

मेरा हरदम हाथ संभाला, 

और मेरे खाने से पहले कभी

निगला नहीं निवाला। 


हो जाता जब भी बीमार मैं, 

तब सारी रात जागती थी, इस बेज़ार के लिए, 

आ रहा हूँ मैं मां, तेरे प्यार के लिए।

मैं उसकी बातें सुनकर संजीदा हो गया, 

पूछा कि जाते जाते ऎसा क्या हो गया। 


उसने कहा कि, मैं कामयाबी के आसमान

को छूने चला था, पैसों के पंख लगा कर, 

पर जिंदगी ने सिखाया मुझे, ऐसी ठोकर खिला कर। 

उसने सिसकते हुए कहा - 


लगता है कि रब को प्यार की

मुझ से ज्यादा कमी रही होगी, 

इसलिए उसने मेरी जिंदगी को हिला दिया है, 

और अपनी ताकत का इस्तेमाल कर के, 

मेरी माँ को अपने पास बुला लिया है। 


वो आगे बोला कि अब मेरे घर

का कोई पता ठिकाना नहीं है, 

जहां अब मेरी माँ ही नहीं रही,

उस घर में मुझे जाना नहीं है। 


उसकी बातें सुनकर, जैसे मैं नींद से जागा, 

और अपने घर की ओर पुरे जोश से भागा। 

लगाया अपनी मां को गले से, और जी भरकर रोया, 

और आज रात बस उसकी ममता की गोद में ही सोया। 


ऐ मेरे नादान दोस्तों, अभी भी वक्त है, 

अपना हाल उस मुसाफिर की तरह होने बचा लेना, 

वरना एक समय बैठे होगे किसी दरख्त के नीचे,

 और कह रहे होगे अपने लुटे हुए संसार के लिए, 

कि एक बार वापस लौट आ मां, 


आ रहा हूँ मैं, तेरे प्यार के लिए।

आ रहा हूँ मैं, तेरे प्यार के लिए।


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