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रोज बदलता है शहर हमारा

रोज बदलता है शहर हमारा

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रोज बदलता हैं शहर हमारा

बदलती ऋतुओं की तरह

शहर हमारा रचता हैं साज़िशें

खुली सड़कों पर चुभती धूप की तरह।


शहर हमारा देता हैं रोज नये किस्से,

आभासी दुनिया की तरह

शहर हमारा देखता है

जीवन और मृत्यु को गवाहों की तरह।


शहर हमारा झेलता है

प्राकृतिक आपदाओं को रखवाले की तरह

शहर हमारा मनाता है खुशियाँ

किसी उत्सव की तरह।


शहर हमारा सुनाता है फैसला

किसी न्यायाधीश की तरह।।


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