STORYMIRROR

Mangesh Medhi

Others

2  

Mangesh Medhi

Others

उत्सव लोकतंत्र का ?

उत्सव लोकतंत्र का ?

1 min
214


देशवासीओ, मतदाता सारे

उठो उठो चलो चलो

उत्साह से मतदान करे

जमके मनाए उत्साह से

चुनाव नही केवल ये

लोकतंत्र का उत्सव है


वाह वाह क्या कहते हो

सही मे ? उत्सव है ?

वो भी लोकतंत्र का ?

लोगों का ? लोगों के लिए ?

देश का ? देश के लिए ?

सच मे ?


पर ! लोग, देश है कहाँ ?


इधर तो होड़ लगी है,

कुर्सी की , सत्ता की !

आज, निष्ठा माने कुर्सी

इधर नहीं तो उधर सही

पर कुर्सी तो मिलेगी


देखो कुर्सीतंत्र , ये है सत्तातंत्र

बस एक दिन का, उत्सव लोकतंत्र !


गर्म है मुद्दा बस यही

कौन बनेगा प्रधानमंत्री ?

किसकी सरकार होगी ?


कहीं परीवार, विरासत

सालों का था राज

सत्ता ना छोड़ेंगे

फिर सरकार बनाएंगे


तो किसी का, सालों का सपना

अब की बार हमारी सरकार

हमारा ही प्रधानमंत्री !

सत्ता ना छोड़ेंगे

फिर सरकार बनाएंगे


इस सब में हम कहाँ ?

लोग, देश है कहाँ ?

लोकतंत्र का नहीं ये

सत्तातंत्र का उत्सव है


घर बनाते, बच्चे पढाते

निकलगयी आधी कमाई

गुजरगयी आधी जिंदगी

बाकी बची अस्पताल में .


क्या घर आराम से बनते ?

मिलती शीक्षा सस्ती ?

अस्पताल तो मर रहे है

वो क्या हमे बचाएंगे !


कचेहरी अभी भी

लगती विदेशी

बिन रिश्वत, सिफ़ारिश

मिले ना जन्म-मृत्यु पत्र

मिटा भ्रष्ट्राचार, मिटे बदमाश ?

बस बदले चेहरा , बदले हैं नाम


इ स सब में हम कहाँ ?

लोग, देश है कहाँ ?

लोकतंत्र का नहीं ये

सत्तातंत्र का उत्सव है.


Rate this content
Log in