विसर्जन
विसर्जन
गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ,
अगले बरस फिर आना ही होगा,
तुझको अपना जलवा फिर से दिखाना ही होगा।
रूप बड़ा है निराला,गणपति है बड़ा प्यारा,
आयेगी जब भी कोई मुसीबत,
मेरे बप्पा तुझे पल में सकंट को हटाना ही होगा।
विसर्जन तो है प्रतीक,विलय विकारों का, ईश्वर में,
इसके पूर्ण अर्थ सबको, समझाना तो होगा।
विसर्जन है प्रतीक है नवीन सृजन और उत्सव का,
जीवन-ताप को शीतलीकरण में बदल,
पुराने की पूर्णता पर नवीन चक्रों को प्रारंभ तो होना होगा।
विसर्जन तो है प्रतीक मोदक लड्डू के मीठेपन का,
दूर्वा की नमी का, वर्ष भर हमें हरियाली हरषाये,
ये भी बतलाना तो होगा।
मंगलकारी है विसर्जन, है उत्सव जीवन का,
अन्त नही है,आरंभ है सृष्टि का,
बेवजह की शंका को हटाना तो होगा।
दस दिनों के बाद वर्षभर घर में रहने वाली फूलों की,
कपूर की महक है विसर्जन,
मानुष को ये भी बतलाना तो होगा।
विसर्जन है अभय वरदान श्री गणेश का,
इसलिये तो अगले बरस फिर गणपति जी को
आकर अपना जलवा दिखाना ही होगा।