वधू की खोज
वधू की खोज
शादी खातिर बहू खोजना कितना टेढ़ी खीर हुआ।
पढ़ लिखकर जो करें नौकरी उनका बढ़ा मिजाज हुआ।
काट छांट इतना करते हैं जैसे नाई की दुकान हुआ।
मलिक मुहम्मद कवि जायसी के ये छोटका भाई हुआ।
कोई हाईट में छोटी है, कोई पतली तो कोई मोटी है।
कोई लंबी है सरंगी सी, कोई की ग्रीवा नहीं सुराही सी।
कोई की पतली कमर नहीं, कोई की समदंतीपंक्ति नहीं।
कोई की वाणी मधुर नहीं, कोई की गढ़न है ठीक नहीं।
कितनौ सुंदर लड़की आवैं कुछ खोट जरूर खोजि लावै।
हर साल इंक्रीमेंट लगै, जैसे-जैसे वेतन वाढै।
वैसे वैसे लड़िका के, शादी में फरमाइश बाढै।
माता-पिता हैरान अहैं, लड़की खोजें में परेशान अहैं।
दिन पे दिन फोटो लाइ दिखावें, कहें की बेटा कैसी हैं।
बेटा बोलै बेमन होकर, फोटो में नहीं सच्चाई है।
कंप्यूटर के युग में इसने असली चेहरा तो छुपाई है।
मोबाईल पे बात करै ना, सोच बैकवर्ड लगती है।
ये तो है जादा पढ़ी नहीं, स्टेटस में पीछे लगती है।
जब तक फेस टू फेस ना मिलबै कुछ ना हम कहि पावत है।
काहे इतना अकुतान अहां अबही हम 30 ही डाकत हैं।
शादी-वादी का निर्णय तोहसे पापा अब ना होई पाए।
तू अहा पुरान सोच वाला, फोकट में टांग अड़ावत है।
सुनि के माई अंदर रोवै बेटवा से कुछ ना कहि पावत हैं।
बेटवा जब बाहर चला जाई बुढ़ऊ के खूब गरियावत हैं।
हम कहत रहे बचवा के शादी इक्कीस में तू कई डावा।
दहीजरू नाई माना हमार, जिंदगी भर चूल्हा फुकवावा।
तब पढ़ाई के बहाना लेइके, कहा भविष्य बिगड़ि जाई।
अबतो हमका बुझात ऐसा कि शादी एकर ना होई पाई।
भविष्य बनावैं में लागत बा, पूरा जीवन ही बिगड़ी जाई।
लागतबा तोहरी चाल से हम पोता पोती ना देखि पाईब।
हमका ऐसैइ बुझात बाटैइ कि अब वंश हमार डूबि जाई।
अब वंश हमार डूबि जाई।
अब 40 के निअराई गए लड़की अबही न मिलि पाएस।
नात बांत अगुवा सब फेल भयेन, बुलाकिउ चचा अनुभव से हेठ भयेन।
लड़की ढूंढ़ै में फेल भयेन। ….२
इतने में संयोग हुआ, इक लड़की से भेंट हुआ।
कद में तो नाटी अहैई, और अहैई सांवला रंग।
इस लड़की को देखकर, रह गया है लड़का दंग।
जब लड़के ने किया हाय हेलो टाटा।
लड़की ने तब दिखा दिया बॉयोडाटा।
हाई स्कूल में अव्वल थी इंटर में सबसे टॉप रही।
बी ई एम ई कईके ज्वाइन कंपनी में करती जांब रही।
उम्र का जब मिलान किए दुइ साल लड़िका से जादा बा।
कहा पिता ने कैसी है, लड़का बोला ना फिट है।
हाइट में एकदम नाटी है, एज में हम से आगे है।
चेहरा इसका सूख गया है, जैसे ब्रह्मा रूठ गया है।
बातें करती है कांव-कांव, कौवे की दीदी लगती है।
इसकी कैसे चाह करूं, मैं इससे कैसे ब्याह करूं।
कहा पिता ने सुन बेटे, डिग्री इसकी गुन बेटे।
तुम से पढ़ी ए ज्यादा है, दहेज में ना घाटा है।
काली है हां काली है, लेकिन ये पैसे वाली है।
इसने असली काम किया शहर में खुद का फ्लैट लिया।
इसको बेटा चुन लो तुम इससे शादी कर लो तुम।
जब 2-2 इनकम आएगी, तेरी मम्मी भी खिल जाएगी।
हम दोनों भी मौज करेंगे, पैसे से खूब ऐश करेंगे।
दो-चार दिन सब बोलेंगे, फिर अपना मुंह ना खोलेंगे।
धन को मन पर लिख बेटे, धन के बल पर जी बेटे।
धन की बड़ी कहानी है, धन की बात निराली है।
धन से पंडित और पंडा हैं, धन से बुढ़ऊ भी लवंडा हैं।
धन से ही सरकार चलै, धन से सकल जहान चलै।
धन ये जिसके पास रहा, उसका दोष सब माफ रहा।
धन के बल पर राज करैं, अब धन पे जनता वोट करै।
धन से मारत बाजी हैं, अब धन से काजी राजी हैं।
बेटा आज्ञा मान गया, भाव पिता का जान गया।
विवाह- सूत्र में बंध गया, करनी का फल पा गया।
