मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ।
सम्मान की मैं अधिकारी हूँ।
मैं ही सृष्टि की जननी हूँ।
मैं ही उद्भव की शक्ति हूँ।
ममता वात्सल्य की थाती हूँ।
अगणित दुख मैं सह जाती हूँ।
पर मुख से कुछ ना कहती हूँ।
हर पल ही सेवा करती हूँ।
मैं नारी हूँ। मैं नारी हूँ।
सम्मान की मैं अधिकारी हूँ।
भावी दृष्टि मुझमें ही है।
परखने की शक्ति मुझमें ही है।
आगे जो होगा फ्यूचर में वो,
करने की शक्ति मुझमें ही है।
मैं तो सचेत कर देती हूँ।
संकेत भी मैं कर देती हूँ।
मैं नारी हूँ। मैं नारी हूँ।
सम्मान की मैं अधिकारी हूँ।
मैं दुर्गा हूँ मैं काली हूँ।
मैं आदिशक्ति भवानी हूँ।
मैं राधा हूँ मैं सीता हूँ।
मैं सावित्री अनुसुइया हूँ।
मैं ज्ञान की देवी सरस्वती,
भावी पीढ़ी की तैयारी हूँ।
मैं नारी हूँ। मैं नारी हूँ।
सम्मान की मैं अधिकारी हूँ।
मैं धैर्यवान मैं कार्य शील,
हर क्षेत्र में सबसे आगे हूँ।
जहां जहां मैं धरा चरन।
जीत का है लहरा परचम।
फिर भी मुझको अभिमान नहीं।
मैं नारी हूँ। मैं नारी हूँ।
सम्मान की मैं अधिकारी हूँ।।
