खुशनुमा बसंत।।
खुशनुमा बसंत।।
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पतझड़ के मौसम की हुई विदाई
पीली पीली सरसों से खेतें लहराई,
अमिया की डारी बौरों से झूली
बागों पर छा गई फूलों की होली,
कोमल नीम के पत्ते सरसरा रहे संग पवन
भर उठा हवा में बसंत का मतवाला रंग,
भंवरे गा रहे हैं प्रेम गान
कोयल ने छेड़ दी है कूहू कूहू की तान
पहन लिया है फिजा ने बसंती चोला
दुआ है लगा रहे यू हीं खुशियों का मेला
रहे ये सुख सब के जीवन में अनंत
लो आ गया है खुशनुमा बसंत।