जीवन-साथी
जीवन-साथी
मन मेरा सुनसान रहता,
गर न तुम चुपके से आती,
दीप जीवन का न जलता,
गर न तुम बन पाती बाती ।
बाती जब से तुम बनी हो,
जल उठा मैं दीप रीता,
सूने मन में प्यार भर के,
प्यारी तुमने मुझको जीता ।
प्यारी तुमने मुझको जीता,
हार बैठा दिल मैं अपना,
अब तो ये लगता मुझे कि,
सच्चा होगा हर सपना ।
सच्चा होगा हर सपना,
प्यार का माहौल होगा,
साथ तेरे ओ री प्यारी,
पल पल अनमोल होगा ।
पल पल अनमोल होगा,
हर सुहानी रात का,
तुम घटा, मैं मेघ हो तो,
फिर मजा बरसात का ।
फिर मजा बरसात का,
तो गुनगुनाता गीत कोई,
देखो फिर कैसे जगेगी,
मन में है जो प्रीत सोई ।
मन में है जो प्रीत सोई,
वो तो प्यारी है तुम्हारी,
कह दो बाबा, कह दो ना,
शर्म क्यों है ओ री प्यारी ।
शर्म क्यों है ओ री प्यारी,
बोल दो ना प्यार है,
तुम ही तो हो मेरा साया,
तुम से ही संसार है ।
तुम से ही संसार है,
तुम बसी हो धड़कनों में,
तुम ही हो मेरा सहारा,
ज़िन्दगी की अड़चनों में ।
ज़िन्दगी की अड़चनों में,
साथ तेरा चाहता हप्यार का प्यासा हूं कब से,
प्यार तेरा मांगता हूं
प्यार तेरा मांगता हूं,
साथ तेरा मांगता हूंं इस जनम में,
हर जनम में,
हाथ तेरा मांगता हूं...!