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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

"नववर्ष नई सुबह,करो चमत्कार"

"नववर्ष नई सुबह,करो चमत्कार"

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अपनी जिंदगी का मिटा दो,आप अंधकार

जलाओ,भीतर कर्मागनी का दीपक एकबार

नववर्ष की नई सुबह पर करो,आप चमत्कार

चले उजाले-पथ पर,जलाकर कर्मदीप हजार


फिर देखो,सफलता कैसे न मिलेगी,ज़ोरदार

इस नव वर्ष कमजोरियों के तोड़ दो,सारे तार

भूतकाल को भूलों,वर्तमान से कर लो प्यार

भविष्य में उसके ही आया है,सदा निखार


जो अपने कर्मों से वर्तमान बनाता,दमदार

बीत रहे,वर्ष में खुद को टटोलो,तुम बार-बार

कहां पर चूक हुई,कमजोरियां करो,स्वीकार

गलतियां दुरुस्त करने को हो जाओ,तैयार


इसबार बता,दो ज़माने को तुम न हो,बेकार

तुम्हारे भीतर,लक्ष्य को पाने का दृढ़ आधार

जो रहा,राही अपनी मंजिल प्रति ईमानदार

चलता रहा अपने पथ पर,यूंही बस लगातार


उसको मिलता है,कामयाबी का अवश्य उपहार

नववर्ष की नई सुबह पर करो,आप चमत्कार

भूतकाल के आंसुओं का छोड़ दो,ढोना भार

समयनुसार जो चले,उन्हें मिली मंजिल,मजेदार



बीते वर्ष भूले न भूलें,उनसे सीखे जीवन पाठ

भूलों की सीख से,बना ले जीवन तू रोशनीदार

जुगनू बनकर वही चमकता है,रे इस संसार

जिसके खुद के भीतर ही हो रोशनी पारावार।


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