गणपति बप्पा मोरया
गणपति बप्पा मोरया
गणपति बप्पा मोरया, कर दे इच्छा पूरी,
सफलता मिल हर काम, नहीं रहे अधूरी।
पार्वती के प्रिय हो, शिव के पुत्र कहाते,
पूज रहे नर व नारी, तुमसे नहीं हो दूरी।।
भाद्रपद माह चतुर्थी को, जन्म लिया है,
उपवास किया पार्वती, उत्पति गणेश की।
पारिजात वृक्ष पूजा, विनति वन प्रदेश की,
उस वक्त अरण्य में, उत्पति हुुई गणेश की।।
जय विजया दो सखियां, पार्वती की खास,
उनके कहने मात्र से, पैदा किये गणेश जी।
सेवा करे हर जन की, सुरक्षा वन प्रदेश की,
सबने मिलकर तब की, पूजा श्रीगणेश की।।
द्वार की रक्षा करने लगे, आये शिव शंकर,
अंदर जाने से रोका, काट डाला बस शीश।
कोहराम मचा पार्वती, शिव सूझा नहीं आये,
हाथी का सिर जोड़ा, हर दिल में वो बसाये।।
देवों ने पूजा की, यूं प्रथम पूजन अधिकारी,
अति बलशाली गणपति, मूसे की है सवारी।
हर औरत चाहती है, गणेश जैसा महान पुत्र,
उनकी बुद्धिबल पर, हो सारा जग बलिहारी।।
एक बार की कथा, परशुराम आये शिवालय,
शिव से मिलने नहीं दिया, रोका था द्वार पर।
फरसे के प्रहार से दांत कटा पल में ही गिरा,
अजीब देव को देखकर, परशुराम कहे हर हर।।
गणपति बप्पा मोरया, दुष्टों का कर देते दलन,
प्रथम पूजा करते हैं, परिपाटी का हुआ चलन।
नहीं मुकाबला कर सकते, बल एवं बुद्धि भरी,
कितने दुश्मन सामने आये, योजना रही धरी।।
हर सुख दुख में याद करे, देव एक दंत होते,
प्रहार करे जब वो, दुश्मन भी सदा ही रोते।
जग के दुख हरते, मोदक के वो चाहने वाले,
जैसा बोते वैसा काटते, कई ख्वाब बिलौते।।
