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Ashok Kumar Gound

Drama Inspirational

5.0  

Ashok Kumar Gound

Drama Inspirational

प्रेम की भाषा

प्रेम की भाषा

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सभ्य समाज से है अभिलाषा।

बोल प्राणी प्रेम की भाषा ।

मेरे विचार से

इस ब्रह्माण्ड में

प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं


जो कुछ भी दिख रहा

सब क्षणिक सब नश्वर

सब मिटेंगे चंद दिनों में

बस रहेगा प्रेम अमर

कर दे इच्छा पूर्ण जरा सा।

बोल प्राणी प्रेम की भाषा।।


प्रेम है एक

इसके रूप अनेक

सबमें है विद्यमान

अलग-अलग ढंग से


माँ का प्रेम अलग

पिता का प्रेम अलग

भाई का प्रेम अलग

बहन का प्रेम अलग

पुत्र का प्रेम अलग

पत्नी का प्रेम अलग

किसी के प्रेम से मत कर तमाशा।

बोल प्राणी प्रेम की भाषा।।


लव ही रब है

लव ही सब है

यही मेरी धारणा यही विश्वास

प्रेम ही ईश्वर

प्रेम ही पूजा

प्रेम से बढ़कर

कोई न दूजा

प्रेम से बदले सभी का पाशा।

बोल प्राणी प्रेम की भाषा।।


जो इसका मीत है

उसका सबसे प्रीत है

है गुजारिश इन लम्हो में

दिल से निकालो हेट

तभी बनोगे ग्रेट


क्यूँ करते हो लेट.

लव का खोलो गेट

यही उम्मीद यही है आशा।

बोल प्राणी प्रेम की भाषा।।


पुराने रवैये छोड़ो

सब जंजीर तोड़ो

प्रेम बिखेरो कुछ इस तरह

भाषावाद, क्षेत्रवाद,

जातिवाद, धर्मवाद,

ये दुनियावी बात-विवाद

सबको करते है बर्बाद

चलो सबसे हाथ मिलाकर

यही प्रेम की है परिभाषा।

बोल प्राणी प्रेम की भाषा।।


सबसे करो प्यार

कहते सब त्यौहार

युग बदलेंगे, सदियां बदलेंगी,

गर बदलेंगे हम

होली दशहरा ईद

सब प्रेम के प्रतीक


प्रेम है मुखड़े की लाली

हैप्पी हैप्पी हैप्पी दिवाली

"अशोक" प्रेम का भूखा प्यासा।

बोल प्राणी प्रेम की भाषा।।


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