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Ashok Kumar Gound

Drama Others

5.0  

Ashok Kumar Gound

Drama Others

मेरी अनोखी दोस्ती

मेरी अनोखी दोस्ती

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इस फेसबुक की दुनिया में,

ऐसे भी राही मिलते हैं।

जो इक पल में दोस्त बनकर,

सदा दिलों में रहते हैं।


इक रोज़ हमें भी मिल गयी कोई,

सूने जीवन में मुस्काती,

सागर में लहरों सी लहराती,

सावन में बरखा सी मचलती।


दोस्ती का हुआ नवनिर्माण,

मैसेंजर ने किया प्रेम प्रगाढ़,

परिचय का हुआ आदान-प्रदान,

बने दोस्त अब दो अनजान।


अनहद तारीफ वह करती मेरा,

अंधेरी शाम को किया सबेरा।

सुप्रभात, शुभरात्रि अभिवादन,

लगता प्यारा मधुर मनभावन।


हम भी कर देते प्रत्युत्तर,

कभी-कभी तो बनते निरुत्तर।

शायद उसको तड़पाने को,

उसके गुस्से को पाने को।


पर अंजाम बड़ा अज़ीब होता,

जब उसका मैसेज करीब होता।

वो भी इठलाती और इतराती,

कभी-कभी तो उल्लू बनाती।


कहती कल मैं फोन करूंगी,

तुमको फिर बेचैन करूंगी।

मेरी सहेली मिलेगी तुमको,

तुम्हारा नम्बर दिया है उनको।


सहेली थी सुन्दर सपनों जैसी,

लगती थी वह अपनों जैसी,

मुझको हँसाने का नया फार्मूला,

बना दिया मुझको सावन का झूला।


स्माइल था सहेली का नाम,

अनायास ही आयी मुस्कान।

कुछ ज्यादा न मालूम मुझे,

होगी कैसी प्रश्न थे उलझे।


दिल कहा जो मान लिया,

मन में सुन्दर मान लिया,

अब करता हूँ बस शुक्रिया,

उस घड़ी, उस पल को शुक्रिया।


उस फेसबुक को भी शुक्रिया,

उस मैसेंजर को भी शुक्रिया,

मिला जब कोई हमको अपना,

उस रंगीन समां को शुक्रिया।


भगवान करे वह सलामत रहे,

मेरी उम्र भी उसको लगे,

ये चंद शब्द उसके लिये,

दोस्ती को कंधे जिसने दिये।


ये दोस्ती बस दोस्ती रहे,

इसमें केवल बस मस्ती रहे,

ना नज़र लगे कभी इसे,

ये खिलता रहे फूलो जैसे।


दोस्ती है बस विश्वासों में।

“अशोक” रहेगा सांसों में।


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