एक दीया जलाओ सद्भाव का
एक दीया जलाओ सद्भाव का
आओ मिलकर दीवाली मनाएं, हर कोने में दिए जलाएं,
धरती पर सद्भाव जगाएँ, दीया जलाएं, कंदील जलाएं ।
आशाओं के दीप जलाएं, निराशा को दूर भगाएँ,
आओ सभी मिलकर हम, हर घर में आज दीया जलाएं ।
अतीत से प्रेरणा लेकर, वर्तमान का अँधियारा भगाएं,
वर्तमान की धुरी पर हम, भविष्य की परिकल्पना बनायें ।
रास्ते का पत्थर देखकर, कहीं बीच में रुक न जाएँ,
पड़ाव को मंजिल समझकर हम, मंजिल को ही भूल न जाएँ ।
आडम्बरों को दूर भगाएँ, नये विचारों का सम्मान करें,
युवा पीढ़ी को मार्ग दिखाएँ, नव भारत का निर्माण करें ।
संस्कारों की धारा बहाएं, भारत को विश्व गुरु बनाएं,
सत्य का मार्ग करें प्रशस्त, राष्ट्र का हम मान बढ़ाएं ।
हर गली में, हर चौबारे में, पवित्रता का दीया जलाएं,
वैमनस्य को त्याग दे हम, समरसता का भाव जगाएँ ।
कुंठित मन की गलियों में हम, नई ऊर्जा का संचार करें,
आओ मिलकर आज सभी, सद्भावों का भंडार भरें ।
पथ पर रुके रहें न हम, आगे की ओर बढ़ते जाएँ,
राष्ट्र पुनर्निर्माण की राह पर हम, चलते जाएँ बस चलते जाएँ ।
दिलों के सूनेपन को हम, आओ आज हम दूर भगाएँ,
निराश मन में आओ हम, आज नया विश्वास जगाएँ ।
विश्व के मानस पटल पर हम, भारत को सिरमौर बनायें,
हर भारतीय के हाथों में हम, नये विश्वास की डोर थमाएं ।
घी के दीये जलाकर हम, धरती पर प्रकाश फैलाएं,
सारे बैर भुलाकर हम आज, प्रीत की पावन धारा बहाएं ।
विश्व को एक माला में पिरो कर, समरसता की पतवार चलाएं,
सारे बुझे दीये जलाकर, मन में नई झंकार बजाएं ।
आतंकवाद का हनन करें, शांति का परचम फहराएँ,
माँ भारती को नमन करें हम, स्वतंत्रता का दीया जलाएं ।
स्वच्छता का अभियान चलाएं, मन में सच्चे भाव जगाएँ,
धर्म के सारे भेदभाव मिटाएं, धर्म का सौहार्द बढ़ाएं ।
सद्भावों की धार बहाएं, मन को निर्मल पावन बनाएं,
सतकर्मों पर रहें अडिग, प्रगति मार्ग को प्रशस्त बनाये ।