अच्छी बात नहीं
अच्छी बात नहीं
घर में कोई अँधेरा, कोना अच्छी बात नहीं।
मन मैला बस तन को, धोना अच्छी बात नहीं।
छोटी हो या बड़ी, खुशी तो ख़ुशी होती है प्यारे,
बड़ी की फ़िक्र में छोटी, खोना अच्छी बात नहीं।
चित्त जैसा खेत न कोई, होता है पाकीजा दूजा,
बीज नफरत के इसमें, बोना अच्छी बात नहीं।
तुम बिन देखे अक्सर, अपनी राय बनाते हो,
तुम्हारा कान का कच्चा, होना अच्छी बात नहीं।
जब जागो तब "नवल" सबेरा, कहते गुणी लोग सदा,
और तुम्हारा जीवन भर यूँ, सोना अच्छी बात नहीं।