इतवार
इतवार
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ख़ुद को पूरे हफ़्ते में व्यस्त ही रखा
आखिरी दिन थोड़ा आराम के लिए है।
शनिवार से सोचा रविवार की योजना
बीते हफ्ते की यादों को भूलना नहीं है।
थका नहीं मैं इतना काम करते करते
कल के नए सपनों का दीदार करना है।
आने वाले सोमवार का भी सोच करना है
शाम तक इसका भी हिसाब करना है।
सूची अधूरे कामों की सामने आंखों के है
इसका भी पूरा इंतजाम करना है।
लेकिन अंत में कुछ हो न पाता
है ये इतवार भी यूँ ही बीत जाता है।
