बेटी
बेटी


एक बेटी को कितने नाजो से पाला जाता है
उसकी हर फरमाइश को सर्वोपरि रखा जाता है
बेटी को सर आंखों पर बिठाया जाता है
स्कूल को पहली यूनिफार्म से लेकर
पहले फैंसी ड्रेस की ड्रेस से तक को संभाला जाता है
कॉलेज की यूनिफोर्म से लेकर शादी के लहंगे तक का सफर
तय किया जाता है
नन्ही बिटिया के नन्हे क़दमों की छाप से लेकर
शादी के समय मुख्य द्वार पर कुमकुम से हाथों की छाप लगवाकर
अपने अरमानों को पूरा किया जाता है
जन्म से बिटिया की हर एक ख्वाहिश को पूरा किया जाता है
शादी में हर एक चीज़ का इंतजाम बिटिया के हि
साब से किया जाता है
बहुत ही हिम्मत रखकर अपने आँसुओ को छुपाया जाता है
ओर चहरे पर मुस्कुराहट लगाकर बिटिया को हल्दी लगाया जाता है
जिस प्रकार बिटिया के गुड्डे गुड़िया की शादी करवाते थे
आज अपनी ही गुड़िया की शादी में मेहंदी को रचवाया जाता है
सारी रस्म रिवाजों की पूरा करते हुए दिल को मजबूत करके
अपने कलेजे के टुकड़े को किसी ओर पर भरोसा करके उसे सौंपा जाता है
कन्या दान की रस्म को पूरा करके बेटी को विदा किया जाता है
फिर बिटिया की विदाई कर पग फेरे की रस्म के लिए बिटिया का इंतज़ार किया जाता है।