STORYMIRROR

Aapki Kavyatri

Abstract

4  

Aapki Kavyatri

Abstract

Maa

Maa

1 min
391

कहती कुछ नहीं बस अलग अलग तरीको से प्यार जताती है

मेरे आधी रोटी मांगने पर पूरी रोटी दे जाती है


कहती है इतने से घी से कुछ नही होता इस कहकर

मेरी थाली में ओर घी डाल जाती है


ये ब्रेड बटर जैसा कोई डिश नही है मा के ब्रेकफास्ट मेन्यू में

मा तो सूजी या आटे का हलवा बनाती है ब्रेकफास्ट में


कहती है जिम जाने की कोई जरूरत नहीं

को कहता है तू मोटी है बता मुझको


जब भी घर पहुचती हु पहला शब्द माँ कहा है

यही मुँह से निकलता है


मा मेरा ये समान कहा है वो समान कहा है

मिल जाय समान फिर भी माँ से पूछने को मन करता है


माँ ही जानत है माँ से ही दुनिया है

यह हर बार कहने को मन करता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract