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Aapki Kavyatri

Abstract

4.0  

Aapki Kavyatri

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दूरियां

दूरियां

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अब थोड़ी दूरियां बनानी होगी 

अब तुम्हे मजबूरियां समझनी होगा


देना होगा समय अब तुम्हे

समझना होगा तुम्हे अब इन हालात को


हा माना खास थे तुम एक वक्त पर

पर अब इस वक्त कोई और खास है


तुम समझती क्यों नहीं इस बात को

की उसके जज्बात किसी ओर के साथ है


हा देता है वक्त तुमको पर उसका बहाना भी सही है

समय नहीं अब उसके पास क्योकि वो बहुत बिजी है


तुम सोचती हो उसके पास टाइम नहीं बिजी है

पर वो तुम्हे इग्नोर कर रहा तुम समझती क्यों नहीं


क्यों रोती हो उसके लिए जिसको जरा भी परवाह नहीं

अब समझना होगा तुम्हें की अब तुम्हे समझने वाला कोई नहीं।


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