मेरे अटूट प्रेम का सिन्दूर लगा कर मुझे अपना प्रखर बनाने ही तो इस धरती पर आयी हो ना त... मेरे अटूट प्रेम का सिन्दूर लगा कर मुझे अपना प्रखर बनाने ही तो इस धरत...
मैं अपनी धुन में चल रही थी अपने कुछ सपने बुन रही थी। मैं अपनी धुन में चल रही थी अपने कुछ सपने बुन रही थी।
उसके माथे की बिंदिया मुझे शिव की तीसरी आँख जान पड़ती है ! उसके माथे की बिंदिया मुझे शिव की तीसरी आँख जान पड़ती है !
सिंदूर न सही, मेरे नाम का टीका तुम भी लगाओ न। सिंदूर न सही, मेरे नाम का टीका तुम भी लगाओ न।
उसके माथे की जो सिंदूरी है, होगा गुमान किसी मर्द का, उसकी तो मजबूरी है। उसके माथे की जो सिंदूरी है, होगा गुमान किसी मर्द का, उसकी तो मजबूरी है।
लाली जो लगी है तुमको ही देख रही है नज़रें जो शरमाई हैं लाली जो लगी है तुमको ही देख रही है नज़रें जो शरमाई हैं