"मैं फिर से तुम्हें हसाऊँगा"
"मैं फिर से तुम्हें हसाऊँगा"
बंजर सी उस जमीन पर
मैं फिर से फूल खिलाऊंगा...।
तू दे दे बस एक दफा मेरा साथ
मैं फिर से तुम्हें हसाऊँगा...।।
क्यों करते हो किसी
बे-कदर का इंतज़ार तुम...।
मैं तुम्हें फिर से जीने
की वजह बताऊंगा...।।
बिखरी हुई है जो तुम्हारी
ख्वाहिशों की दुनिया...।
हो अगर तुम्हारी इजाजत
मैं फिर से सजाऊंगा...।।
रूठे रूठे से रहते है जो
सावन के बादल तुम से...।
मैं फिर से उन रूठे हुए
बादलों को मनाऊंगा...।।
एक बार कर
ले जो
तू मुझ पर एतबार...।
मैं फिर से तुम पर अपनी
सारी जिन्दगी लुटाऊंगा...।।
इस बे-अदब सी
तुम्हारी दुनिया को
मैं फिर से अदब की
राह दिखाऊंगा...।।
ओढ़कर रखी है जो तुम्हारे
इस जीवन ने सफेद चादर...।
मैं फिर से बे-रंग सी इस तुम्हारी
दुनिया को रंगीन बनाऊंगा...।।
बंजर सी उस जमीन पर
मैं फिर से फूल खिलाऊंगा...।
तू दे दे बस एक दफा मेरा साथ
मैं फिर से तुम्हें हसाऊँगा...।।