कह दो ना.....
कह दो ना.....
तुम व्यक्त नहीं कर पाए अपने प्यार को कभी
मेरे सम्मुख,
बस अपनी मुस्कुराहट से,
अपने आंसुओं से जताते रहे,
इस उम्मीद के साथ कि तुम्हारे
अनकहे इज़हार को मैं स्वीकार कर लूँ,
तुम्हारा मेरे लिए असीम प्यार समझकर।
मैं प्यार में इतनी डूबी हुई हूँ कि हर पल अच्छा लगता है,
तुमसे कहना कि हाँ तुम्हारा प्रेम मुझे पागल किये जाता है।
तुम्हें बार-बार छूना, तुम्हारे बालों में उँगलियाँ फिराना,
तुम्हारी ख़ामोशी से बातें करना,
और तुमसे उम्मीद रखना कि एक दिन तुम भी,
प्रेम की परिकाष्ठा को छू पाओगे।
एक दिन तुम भी मेरी तरह कह पाओगे
कि हाँ तुम्हारे बिना साँसों का धड़कना
महज़ एक आवाज़ लगता है,
हाँ तुम्हारी अनुपस्थिति में घर मुझे श्मशान लगता है।
तुम्हारी बकबक के बिना, मुझे जीना बेकार लगता है।
लेकिन तुम कभी जताते नहीं और मैं समझ नहीं पाती
हम क्यों है साथ ?
क्या मैं सिर्फ एक आदत हूँ तुम्हारी या तुम्हारा असीम प्यार ?
अमर नहीं हूँ मैं, एक दिन मुझे भी जाना होगा,
शायद मेरे जाने के बाद जब खाली रसोई देखोगे,
तुम्हें नींद से जगाने वाली कोई आवाज़ नहीं सुनोगे,
हो सकता है उस दिन महसूस करोगे और कहोगे,
अपने दिल में छिपा मेरे लिए असीम प्यार।
तब मैं नहीं सुन पाऊँगी सिर्फ दीवारें सुनेंगी।
यही वक्त है कह दो, अभिव्यक्त करो खुद को,
प्यार में पागल होने दो।
आज हूँ मैं, क्या पता कल जिंदगी रहे ना रहे।