पायल छनक गई
पायल छनक गई
फाग आया है निराला
तूने कैसा रंग डाला
पायल छनक गई
मन हुआ मतवाला।
पिया भर पिचकारी
प्रेम रंग तूने मारी
बावरी चुनर मेरी
इत उत उड़ गई ।
लाल,गुलाबी किनी
भीगी साड़ी, भीगी चोली
रंग सारे धुल गए
प्रेम रंग छूटे नहीं ।
सखियाँ भी छेड़ रही
इत उत मोड़ रही
पवन झकोरे संग
मन पिंग बढ़ रही ।
मन में हिलोर उठे
पिया पास आये मोरे
पिया मन रंग डाले
फागुन ने डाले डोरे ।
मैं तो संग चलूँ तेरे
मन में बसा तू मेरे
अब छोड़ जाना नहीं
मुझको सताना नहीं ।
कजरा न नैन सोहे
बिन तेरे शृंगार नहीं
गजरा महक खोए
पिया तरसाना नहीं ।
विरह बुरी है पिया
हर पल धड़के जिया
तुम पास जो न मेरे
फाग सावन सभी सूने ।