एक कुरुक्षेत्र मेरे अंदर भी है
एक कुरुक्षेत्र मेरे अंदर भी है
अर्जुन कहता "एक कुरुक्षेत्र मेरे अंदर भी है"
मन के अंदर का झंझावत केशव
पूरा एक कुरुक्षेत्र मेरे अंदर भी है
ये खड़े हुए जो रणक्षेत्र में
सब मेरे मन के ही अंदर हैं।
मार इन्हें रण जीत लिया
तो राज्य निश्चित पा जाऊँगा
पर हे केशव मार इन्हें मैं
अपने से गिर जाऊँगा ।
हँस केशव ने देखा अर्जुन को
बोले थोड़ा मुस्कुराकर
हे पार्थ, क्यों द्रौपदी भूल गए
जिसका अपमान भरी सभा हुआ ।
बैठे थे धुरंधर बड़े बड़े
थे जिनके ओंठ सिले हुए
कोई पितामह था उनमें
और कोई गुरु महान वहाँ ।
सास ससुर सिंहासन बैठे
राज्य कर्मचारी सभी वहाँ
नहीं किसी के ओंठ हिले तब
तुम अपमानित झुके हुए ।
राज्य के लिए नहीं लड़ो तुम
स्वयं ही कुछ विचार करो
है अंदर जो कुरुक्षेत्र तुम्हारे
ज्वाला उसकी कुछ तेज करो ।
पति धर्म निभाओ अपना
पूर्ण पांचाली का वचन करो
रण क्षेत्र अब धर्म युद्ध है
इस कुरुक्षेत्र को खत्म करो ।
