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Nisha Gupta

Inspirational Others

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Nisha Gupta

Inspirational Others

बसंत बौराया

बसंत बौराया

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चारों ओर बिखरा बसंत है 

खिला हर ओर पलाश है 

लगे धधकी धरा 

उर्जित नव गान है ।


शिशिर छोड़ चला धरा

बसंत ने डेरा डाला

नव पल्लव खिल उठे

अमराई महकी सरे आम है

कोयल कुहुके जरा जरा 

लगे धधकी धरा 

उर्जित नव गान है ।।


सरसों खिली, पीली धरा

मन उमंगों भरा 

उल्लासित हर गांव शहर 

उमंगित हर धाम है 

मस्त मलंग हुआ मौसम

बसंत खिला भरा भरा

लगे धधकी धरा 

उर्जित नव गान है ।।


कली खिली जरा जरा

अली डोला यहाँ वहाँ 

चूम चूम कलियों को

नेह निमंत्रण दिया 

देख ऋतुराज को

सपनो में घिरा घिरा

लगे धधकी धरा 

उर्जित नव गान है ।


श्वेत वस्त्र धारणी

माँ वीणा वादिनी

हंस वाहिनी माँ 

छोड़ आज जल को

नभ थल डोल रही

स्वर, ज्ञान चहूँ ओर फैला

लगे धधकी धरा 

उर्जित नव गान है ।



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