कोयल मीठा गीत सुनाती। उपवन में मकरन्द लुटाती। कोयल मीठा गीत सुनाती। उपवन में मकरन्द लुटाती।
मन में उमंग उल्लास भर आया किसी ने न देखा बसंत कब आया। मन में उमंग उल्लास भर आया किसी ने न देखा बसंत कब आया।
कोमल कोमल पल्लव झूमे, हरियाली है लाई। कोमल कोमल पल्लव झूमे, हरियाली है लाई।
ये दिल जैसे लगता है आकाश सा विस्तृत, और कभी शीतल सी हवा का एक झोंका। ये दिल जैसे लगता है आकाश सा विस्तृत, और कभी शीतल सी हवा का एक झोंका।
सुनी पदचाप... प्रिय सखी आज... मधुर आगाज़... झंकृत साज़... उमंगें अकुलाई... बसंत ऋतू आयी... सुनी पदचाप... प्रिय सखी आज... मधुर आगाज़... झंकृत साज़... उमंगें अकुलाई... ...
शिशिर छोड़ चला धरा बसंत ने डेरा डाला शिशिर छोड़ चला धरा बसंत ने डेरा डाला