Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

डाँ .आदेश कुमार पंकज

Others

4.0  

डाँ .आदेश कुमार पंकज

Others

बसंत की हर छटा निराली

बसंत की हर छटा निराली

1 min
346


फैली चहुँ दिश है हरियाली।

बसंत की हर छटा निराली।।


नव किसलय तरु फूट रहे हैं।

मधुप कुसुम को चूम रहे हैं।।

भँवरों का गुंजन सुन कर के,

झूम उठी हर डाल - डाली।

बसंत की हर छटा निराली।।


कोयल मीठा गीत सुनाती।

उपवन में मकरन्द लुटाती।।

फर फर भू की चुनर उड़ती 

हवा चल रही है मत वाली।

बसंत की हर छटा निराली।।


सभी दिशायें हर्षित दिखतीं।

भानु - रश्मियाँ प्यारी लगतीं।।

खग मृग सब आनंदित लगते,

जन जन में फैली खुशहाली।

बसंत की हर छटा निराली।।


अब बासंती ऋतु आई है।

मौसम ने ली अँगड़ाई है।।

सतरंगी परिधान पहन के,

झूम रहीं खेतों में बाली।

बसंत की हर छटा निराली।।


पके पात सब गिर जाते हैं।

नव पल्लव आ छा जाते हैं।।

वीणा को झंकृत करती है,

माँ हंस वाहिनी वीणा वाली।

बसंत की हर छटा निराली।।



Rate this content
Log in