मेरा दुख सह जाती अम्मा
मेरा दुख सह जाती अम्मा
रात - रात भर जगती रहती
बच्चों के हित लड़ती रहती
कभी नहीं रोने देती है
रोकर नहिं सोने देती है
हमको सूखे में रखकर वो,
खुद गीले में रह लेती है
देती हम को प्यारा चुम्मा
मेरा दुख सह जाती अम्मा
मेरे दुख वो देख न पाये
सौ सौ आँसू धार बहाये
मंदिर मस्जिद शीश झुकाये
निज संतति की खैर मनाये।
हर पल प्यार लुटाती रहती
अवगुण सदा छिपाती रहती
आँचल उसका प्यार मुलम्मा
मेरा दुख सह जाती अम्मा।
लोरी देकर हमें सुलाती
वीरों की गाथायें गाती
नेक राह पर हमें चलाती
अच्छी बातें हमें सिखाती।
मानवता का पाठ पढ़ाती
सद ग्रंथों की बात बताती
सुखों की बरसात है अम्मा
मेरा दुख सह जाती अम्मा।