STORYMIRROR

डाँ .आदेश कुमार पंकज

Classics

3  

डाँ .आदेश कुमार पंकज

Classics

कभी प्यार की बाँसुरी भी बजेगी

कभी प्यार की बाँसुरी भी बजेगी

1 min
443

कभी तो यहाँ कोई महफिल सजेगी

कभी प्यार की बाँसुरी भी बजेगी।


सभी लोग मिल के रहेंगें जहाँ पे

वहीं प्यार की एक गंगा बहेगी।


जहाँ पर बहे नीर अविरल निरंतर,

हमेशा वहाँ साफ धारा मिलेगी।


सुनेंगें प्रभो जब यूँ विनती हमारी,

उसी दिन *ये नैया* किनारे लगेगी।


नहीं छोड़ना साथ उसका कभी भी,

कभी तो तुम्हारे वो संग में चलेगी।


रखो हर कदम सत्य के मार्ग पर ही

कभी झूठ से सुन न किस्मत खुलेगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics