कभी प्यार की बाँसुरी भी बजेगी
कभी प्यार की बाँसुरी भी बजेगी
कभी तो यहाँ कोई महफिल सजेगी
कभी प्यार की बाँसुरी भी बजेगी।
सभी लोग मिल के रहेंगें जहाँ पे
वहीं प्यार की एक गंगा बहेगी।
जहाँ पर बहे नीर अविरल निरंतर,
हमेशा वहाँ साफ धारा मिलेगी।
सुनेंगें प्रभो जब यूँ विनती हमारी,
उसी दिन *ये नैया* किनारे लगेगी।
नहीं छोड़ना साथ उसका कभी भी,
कभी तो तुम्हारे वो संग में चलेगी।
रखो हर कदम सत्य के मार्ग पर ही
कभी झूठ से सुन न किस्मत खुलेगी।