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डाँ .आदेश कुमार पंकज

Abstract Inspirational

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डाँ .आदेश कुमार पंकज

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पंकज के दोहे

पंकज के दोहे

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महल बनाया बाप ने, पाई -पाई जोड़ ।

बच्चे उनके यों हुए, नित्य रहें हैं तोड़ ।।


मात पिता के हृदय को, संतति रहि झकझोर ।

पंकज नित दिन तोड़ते, ममता की वह डोर ।।


ऐंठ रहा था तम बहुत, ठोक रहा था ताल ।

लघु दीपक ने कर किया, उसे हाल बेहाल ।।


कहीं अँधेरा गर दिखे, रख आओ दिनमान ।

सत्य कह रहा आपसे, खुश होगा भगवान ।।


चरणों में हनुमान के, जिनकी हो अनुरक्ति ।

पाते ज्ञान विवेक वे, बुद्धि भक्ति अरु शक्ति ।।


बुद्धि ज्ञान विवेक मती, पंकज जिसके पास ।

शान्ति - भाव से सोचता, रहता नहीं उदास ।।


जन्म मृत्यु के फेर की, पायी किसने थाह ।

निर्धन और महीप सब, गये एक ही राह ।।


मैं - मैं जिसने भी किया, बँधा लोभ की पाश ।

पंकज धरती पर हुआ, उसका सदा विनाश ।।


तम रजनी का साथ ले, दिखा रहा था आँख ।

रवि ने आकर तुरत ही, दबा लिया है काँख ।।



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