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वसंत कब आया

वसंत कब आया

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बदल गया मौसम गजब खिलखिलाया

किसी ने न देखा बसंत कब आया।?

कलियाँ जब खिलीं तो चमन मुस्कुराया


किसी ने देखा

धीरे से भौंरा ने दिल गुददाया

किसी ने न देखा

हुई जब सुबह तो सूरज उग आया


किसी ने न देखा ?

झूम उठा गोधूम सरसों गदराया

किसी ने न देखा बसंत कब आया।

पवन का झकोरा अति ही शरमाया

किसी ने न देखा बसंत कब आया।

कोयल की तान सुन, पपिहा बुदबुदाया


किसी ने न देखा बसंत ?

वृक्षों पर है पल्लव नया नया आया

किसी ने न देखा बसंत कब आया।

गगन में पक्षियों का , पर फड़फड़ाया


किसी ने न देखा बसंत ?

वसुधा पर कुदरत ने उत्सव मनाया

आहट मिली कि बसंत अभी आया।


जब-जब दिलों में प्यार गुदगुदाया

तब -तब जीवन में बसंत रंग लाया।

मन में उमंग उल्लास भर आया

किसी ने न देखा बसंत कब आया।


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