ये दिल
ये दिल
ये दिल जैसे लगता है आकाश सा विस्तृत,
और कभी शीतल सी हवा का एक झोंका ,
इंद्रधनुष के हर एक रंगों को समेटता हुआ
हर रंगों में लगता जैसे हो एहसास अनोखा,
तेज और तपती हुई धूप में वो लगते जैसे,
किसी तरु पल्लव की ठंडी- ठंडी छाया हो,
प्यार के हर रंगों का अनोखा एक संगम हो,
जिसमें डूबकर हर प्रेमी रंग में रंग जाता है,
कभी तो लगता जैसे घने बादलों में छिपा,
मंद मंद मुस्कुराता हुआ जैसे वो चांद हो ,
सुबह-सुबह क्यों सूरज की पहली किरण ,
जिसने एक दिखती नहीं चमक वो हो तुम,
ये दिल जैसे लगता है आकाश सा विस्तृत,
कभी कभी शीतल हवा का झोंका हो तुम!