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Nisha Gupta

Inspirational

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Nisha Gupta

Inspirational

माँ

माँ

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माँ निकल तेरे आँचल से 

मैं बड़ी हो गई

तेरी नन्ही गुड़िया कहीं खो गई

जब तक थी मैं तेरे आँचल की छाँव में 

न थी कोई फिक्र, न कोई जिम्मेदारी

अब जिम्मेदारी की चादर बड़ी हो गई।

माँ तेरी स्वीटी कहीं खो गई।


सब कहते हैं मैं हूँ माँ की परछाई 

हाँ बालों में मेरे चाँदी चली आई 

सोच कुछ बदल गई

लगता परिपक्वता भी चली आई 

माँ सच प्रतिरूप हूँ मैं तेरा 

शायद ढूंढते ढूंढते तुझे स्वयं में 

तेरी अल्हड़ सी परी खड़ी हो गई ।


जो करती रही तू उम्र भर 

उसी राह पर जिंदगी मेरी चली

न जाने कैसे जिद्दी लड़की

अब सबकी सुनने लगी

माँ बदल गया जीवन का पन्ना

अब न कोई जिद न अपने सपने

जीवन की नाव हिचकोले खाती

उसकी पतवार संभाले 

सबको पार कराने लगी 

तेरी बीटिया सच में बड़ी हो गई।


अब समझी जीवन का सार माँ 

सच में, दर्पण निहारती 

छवि मुझे तेरी ही लगी

हाँ माँ आज सच में 

मैं तेरा प्रतिरूप दिखी ।


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