मेरी कविता के हर शब्दों के अनसुलझे सवालों से हो तुम! मेरी कविता के हर शब्दों के अनसुलझे सवालों से हो तुम!
झरनों के पानी-सी है, परियों की कहानी-सी है, मेरी कल्पना स्वरूप-सी है, तू मेरे प्रतिरूप-सी है...... झरनों के पानी-सी है, परियों की कहानी-सी है, मेरी कल्पना स्वरूप-सी है, तू मे...
अब समझी जीवन का सार माँ सच में, दर्पण निहारती छवि मुझे तेरी ही लगी। अब समझी जीवन का सार माँ सच में, दर्पण निहारती छवि मुझे तेरी ही लगी।
नारी तू अर्धांगनी कई तुम्हारा रूप। माँ, बेटी है बहन तू, ममता का प्रतिरूप।। नारी तू अर्धांगनी कई तुम्हारा रूप। माँ, बेटी है बहन तू, ममता का प्रतिरूप।।