तू मेरे प्रतिरूप-सी है
तू मेरे प्रतिरूप-सी है
गुलाबों की महक-सी है,
चिड़ियों की चहक-सी है।
सूरज की किरणों-सी है,
चंचल से हिरणों-सी है।
सर्दी की धूप-सी है,
चंद्रमा के रूप-सी है।
सुरीले साज़-सी है,
मौसम के बदलते अंदाज़-सी है।
झरनों के पानी-सी है,
परियों की कहानी-सी है।
मेरी कल्पना स्वरूप-सी है,
तू मेरे प्रतिरूप-सी है।
