गाओ रे फाग
गाओ रे फाग
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आया रंगों का त्यौहार
सब मिल गाओ रे फाग
मस्तियाँ मौसम में घुल गई
रंग बिरंगी मन मर्जी राग
सब मिल कर गाओ से फाग।
चला हेमंत बसंत आया
अलि कली कली पर डोला
रति ने किया साज शृंगार
कोयल ने गाया फिर राग
सब मिल कर गाओ रे फाग।
ऋतुराज ने ली अंगड़ाई
सबको प्रेम की अगन लगाई
प्रेम की मिल कर पिंग बढ़ाई
जागा सबके मन अनुराग
सब मिल कर गाओ रे फाग ।
भर पिचकारी सजन ने मारी
अंग अंग में थिरकन जागी
रंग, अबीर उड़े गुलाल,
पीला, नारंगी, नीला, लाल
सब मिल कर गाओ रे फाग ।
