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तेरी याद

तेरी याद

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आज भी तेरी याद आँखों को सजा जाती हैं

होंठो की हंसी दर्दे दिल को क्या बयां करे

खाली आगोश में तेरा अहसास

दिल की दास्ताँ बताता हैं !


मुड़ - मुड़ के देखता हूँ मैं सुनसान राहों को

ना कोइ आवाज ना इंतजार ........


सूखे पत्तों की चरमराहट तो कोई नज़्म नहीं

जो घावों को सहला दे

जेबों मैं छिपी मुठ्ठियों में क्या कोइ लकीर ही नहीं जो तुछसे मिला दे !


दर्द इतना की दर्द का अहसास भी खत्म हो गया

बस बैठा हूं इस इंतज़ार मैं

अगर तुम मिलो तो तुमसे पूछूँ

तुमने ऐसा क्यों किया ?


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